पाठ योजना क्षा–दशम ् विषय-सिंस् ृ त उपविषय –क िं क िं उपादे यम ् सामान्य उद्देश्य:विद्यार्थियों में प्रश्नोत्तर े माध्यम से सिंस् ृ त.
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पाठ योजना क्षा–दशम ् विषय-सिंस् ृ त उपविषय –क िं क िं उपादे यम ् सामान्य उद्देश्य:विद्यार्थियों में प्रश्नोत्तर े माध्यम से सिंस् ृ त भाषा े ौशलों ा वि ास रिाना| जीिन में क्या क्या ग्रहण रना चाहहए ि क्या त्याग रना चाहहए ? बच्चों ो ल्याण ारी ायों े ललये प्रेररत रना| विलशष्ट उद्देश्य:पाठ अन्तगित सिंस् ृ त िाक्यों ा ज्ञान प्रश्नोत्तर े माध्यम से उपलब्ध राना| शङ् राचायि ि उन े द्िारा स्थावपत मठोॱ ी जान ारी प्रदान राना| पाठ े माध्यम से विद्यार्थियों में नैतत गण ु ों ी िवृ ि राना| बहिनाथ द्िारर ा पुरी रामेश्िरम ् पि ि ान परीक्षण ू ज्ञ अध्याप –यह महापरु ु ष ौन हैं ? छात्र-यह आहदगरु ु शङ् राचायि हैं | अध्याप –र्चत्र मैं ौन- ौन से स्थान हदखाई दे रहें हैं ? छात्र-यह तो मठ हैं,जो शङ् राचायि जी ने धमि प्रचार े ललये स्थावपत क ए थे | तनम्न ललखखत में से क्या ग्रहण रना ि क्या छोडनना चाहहये? गरु ु तनन्दा,मढ ू ता,धमि,सज्जनता,अपयश,अलभमान, गरु ि ा,,गप्ु तपाप,त्याग, ु िचन,अभ्यास,मख ू त मान,सत्य,मधुरिाणी,न्याय| उपविषय ी उद्घोषणा आज हम शङ् राचायि द्िारा रर्चत ग्रन्थ में से “क िं क िं उपादे यम ्”पाठ ो पढें गे और उन े जीिन े गण ु ों ो ग्रहण रें गे| प्रस्ततु त रणम-१ ् क िं उपादे यम ्?=गुरुवचनम ्| क्या ग्रहण रना चाहहये?=गुरुवचन| हे यम ् क िं ?=अ ाययम ्| छोडनने यो्य क्या ह?=बुरे ाम | ो गरु गरु ौन ह ?=ज्ञानी | ु :?=अधिगततत्व:| ु ः पथ्यतर:?=िमय:| ल्याण ारी क्या ह?=िमय | ः शुधचः?=यस्यमानासिं शुद्धम ्| पववत्र ौन ह?=जिस ा मन शुद्ध ह| ः पजडडनतः?=वववे ी| पजडडनत ौन ह?=समझदार| क िं ववषम ् ?=अविीरणा गुरुषु| ववष क्या ह?=गुरुओिं ा अपमान| क िं िीववतम ्?=अनवद्यम ्| िीवन क्या ह?=ननन्दारहहत िीना| क िं िाड्यम ्?=पहितोपवप अन्यास:| िडनता क्या ह?=यो याद नहीिं रता| ो िागनृ त?=वववे ी| िागता ौन ह? =समझदार| ा ननद्रा?=मूढता| नीिंद क्या ह?=ववचारशून्यता| नलिनीदिगतििवत्तरिम ् क म ्? मलिनी े पत्ते पर ििबबन्द ु समान ौन ह? यौवनम ् –िनम ् च आयःु | िवानी, िन और आयु | प्रस्ततु त रणम ् २ • • • • • • • • • • • क िं शलशनः क रण समा:?=सज्िना:| चन्द्र ी क रणो े समान ननमयि ौन ह ?=सज्िन ोपनर्यफि:?=मानः अररष्ट ा फि क्या ह?=घमडडन| ा सख सख ु दा?=सािि ु नमत्री ु दाय क्या ह?=सज्िनों ी लमत्रता| क िं मरणम ्?=मख मत्ृ यु क्या ह?=मख य ा| ू त्य वम ् ू त सवयव्यसनववनाशे ो दक्षः?=त्यागी सभी व्यसनों ो दरू रने बािा ौन ह?=त्यागी | क िं अनघयम ्?=अवसरे दत्तम ्| अमूल्य बस्तु क्या ह?=समय पर दी गयी बस्त|ु स्यवशेप्प्राणणगण:?=सत्यवरयभावषणः| क स े वश में राणी हैं?=सत्य और वरय बोिने बािे े | क्व स्र्ातव्यम ्?=न्यायपधर् हािं रहना चाहहऐ ?=न्याय े रास्ते पर | ो अन्ि:?=अ ाययरत: | अन्िा ौन ह?=बरु े ायों में िगा हुआ| ो बधिर:?=यो हहतानन न शण बहरा ौन ह?=यो हहत रने बािी बातें नहीिं ृ ोनत | सन ु ता | ो मू ः?=यः ािे वरयाणण वक्तिंु न िानानत| गिंग ू ा ौन ह? िो वरय नहीिं बोिता | समह ू ायि-१ उर्चत शब्द भर र अधोललखखत सम्िाद • व्यासिगि• • • • • • • • • ”प्रश्नोत्तरी” ो पूरा रें | क िं उपादे यिं ?— गरु ु िचनम ्| धमि: ः पथ्यतर:? मान: ोऽनथिफल:? मूखत्ि िम क िं मरणम ्? अिधीरणा गरु ु षु क िं विषम ्? सत्यवप्रयभावषणः स्यिशे प्राखणगण:? वििे ी ः पण्डडनतः? यस्य मानसिं शि ु म् ः शर्ु चः? अर्धगततत्त्ि:| ो गरु ु :? मूढता : ा तनिा ? उत्तराखण —अर्धगततत्ि: ,,वििे ी, यस्य मानसिं शि ु म ्, अिधीरणा गुरुष,ु मूखत्ि िम ्,गुरुिचनम ्, मूढता सत्यवप्रयभावषणः समह ू ायि-२ • • िाण्ल्म ी िगि –२ शि ु - विलोमपदातन मेलयत --- • अ ायिम ् ग्राही • सततम ् विरोध: • वििे ी अिद्यम ् • जीिनम ् अवििे ी • अनिद्यम ् मरणम ् • यौिनम ् दार्चत ् िाधिक्यम ् • मैत्री ायिम ् विरोध: • त्यागी • िाधिक्यम ् ायिम ् दार्चत ् अवििे ी मरणिंम ् अिद्यम ् ग्राही समह ू ायि-३ नञ-तत्परु ु षसमासः-ण्जसमें क सी पद में “न” े साथ समास क या जाता है जैसे –न परु ु षः=अपरु ु ष:| • गायत्री िगि –विग्रह पदों • न ायिम ् • • • • न न न न अिद्यम ् अभ्यास: अथिफलम ् अघिम ् ा समस्त पदों से लमलान अनघिम ् अनभ्यास: अ ायिम ् अनिद्यम ् अनथिफलम ् रें | अ ायिम ् अनिद्यम ् अनभ्यास: अनथिफलम ् अनघिम ् समह ू ायि-४ • गीता िगि –तनम्न पदों ा पद पररचय दें | • पद धातु ल ार, परु िचन| ु ष, • पास्यतत पा लट् प्र.प.ु ए.ि.| ृ •पश्य •पठाम: •अहसत ् •चलेयम ् -दृश ् ---पठ्--- --हस ् --- लोट् लट् लङ् ---म.पु . ----उ.प.ु - ---प्र.पु.-- ए.ि.| -बहु.ि. ए.ि.| -चल ् ---- विर्धललङ् उ.पु. -----ि.ि.| मल् ू यािं नम ् • • • • • • • • • • अध्याप :-नललनीदलगतजलित्तरलम ् क म ् ? छात्र:-यौिनम ्-धनम ्-आय:ु च| अध्याप :- “जीिनम ्” पद ा विलोमपद क्या है ? छात्रा –मरणम ् | अध्याप :- पर्थ’ शब्दस्य : पररचय ? छात्र:-न जानालम श्रीमन ् ! अध्याप ः –पर्थन ् –शब्द सप्तमी विभण्क्त ए िचन| अध्याप :- ो बर्धर:? छात्र:-यो हहतातन न शण ृ ोतत | अध्याप ः –न अभ्यास:-इस पद ा समास क्या है ? • छात्रा –अनभ्यास:| • अध्याप :-मू ः ः? • छात्र:-यः ालेवप्रयाखण िक्तुिं न जानातत| गह ृ ायिम ् पाठ े अन्तगित छ: नैतत शब्दों ो ललखें –जैसे-सत्य, -----| नञ ् तत्पुरुष समास े चार समस्तपद ललखे जैसे-अनघिम ्-पाठ में से चार विलोम शब्द ललखें जैसे-अ ायिम ्,--- ायिम ् | मढ ू +तल ् =“मढ ू ता” इस ो दे ख र चार “तल ्” प्रत्यय बाले पद बनाएँ| • शङ् राचायि द्िारा स्थावपत चार मठ स्थानों े नाम ललखें | • चार ग्रहण रने योग्य गण ु ों और त्याग रने योग्य दोषों ो ललखें|जैसे—गण ु =गरु ु िचनम ्,दोष=गप्ु तपापम ्| • उपरोक्त प्रश्नोत्तरों ा शि ु उच्चारण में अभ्यास रें | • रचतयतारौ:-सुरेन्ि ु मार शास्त्री रा.ि.मा.विद्यालय .रपोह लमसरािं<>ण्िला- ऊना हह.प्र.| • • • • • दीपराज शास्त्री रा.ि.मा.विद्यालय,सलोह<>ण्िला –ऊना हह.प्र.|